Thursday, December 27, 2007

श्री राम कथा


Jai Sri Ganesha_
जय श्री गणेश 


बंदउँ गुरु पद कंज कृपा सिंधु नररूप हरि
महामोह तम पुंज जासु बचन रबि कर निकर

कलि काल में केवल श्री हरि विष्णु की कथाओ को कह सुन कर जीव भव सागर पार हो जाता है 
उन कथाओ में एक दिव्य कथा है श्री राम कथा 


कलि काल में योग ज्ञान ध्यान की परिभाषा सिमित है पर श्री राम गुण गान सभी से अधिक है और प्रत्येक मानव के  समीप है 
यह एक अवश्य ही परम सहज व् सुखद अनुभव है जो जीव को निजस्वरूप प्रदान करता है


भगवान राम ने काक से कहा की तुम मेरे सत्य सुगम व् वैदिक वर्णन को सुनो-अपना निज सिद्धांत सुनाता है 
यह संसार मेरी माया से उत्पन्न है
इसमें अनेको प्रकार के चराचर  जीव है और यह सभी मुझे प्रिय है क्यों के यह सभी मेरे द्वारा उत्पन्न किये हुए हे 
पर मनुष्य मुझे अधिक प्रिय है
मनुष्यो में ब्राह्मण
ब्राह्मणो में जो वेद मार्ग व् धर्म अनुसार जीवन यापन करते है
उनमे भी वो जो वैराग्यवान है  
 वैराग्यवान में ज्ञानी 
ज्ञानी में वे जो विज्ञानी है
विज्ञानी से भी अधिक मुझे अपना दास प्रिय है -जिसे कोई दूसरी आशा नहीं  है 
सेवक के सामान मुझे  कोई प्रिय नहीं है 
मुझे सभी जीव सामान रूप से प्रिय है पर भक्तिवान अतार्थ भक्तिवंत  अत्यंत नीच प्राणी भी मुझे प्राणो के सामान प्रिय है 

हे काक ध्यान से सुनो 
एक पिता के बहुत पुत्र है 
कोई पंडित -कोई ज्ञाता
कोई तपस्वी -कोई दानी
कोई शूरवीर -कोई धनी
कोई सर्वज्ञ -कोई धर्म परायण 
पर यदि कोई मन कर्म वचन से पिता का भक्त है वह पुत्र पिता को प्राणो से अधिक प्रिय होता है 
चाहे वह सब प्रकार से दीन हीन हो पर मन और वचन से मुझे भजता हो वह पुरुष हो या नारी या नपुंसक या चराचर जगत में कोई भी-कपट छोड़ कर जो सर्व भाव से मुझे भजता है वह मुझे प्राणो के सामान प्रिय है 

समदरसी मोहि कह सब कोऊ 
सेवक प्रिय अनन्यगति सोऊ


कोमल चित अति दीनदयाला
कारन बिनु रघुनाथ कृपाला
गीध अधम खग आमिष भोगी 
गति दीन्हि जो जाचत जोगी


भगवान राम से सुग्रीव से कहा 

जो लोग मित्र के दुःख से दुखी नहीं होते उन्हें देखने से भी पाप होता है 

जीवन में जीव को अपने दुःख को धूल के समान व् मित्र के दुःख को पहाड़ के समान समझना चाहिए 

जो मित्र सामने भला कहे व् पीछे बुराई करे उसे त्यागने में ही  भला है

दुखी मित्र की मदद करनी चाहये वह भी निष्काम भाव से 

जीव अपने समर्थ के अनुसार मित्र की भलाई करे

विपत्ति के समय मित्र को अधिकाधिक स्नेह करे न की उसका त्याग कर दे



सुग्रीव भगवान के बल की थाह पाना चाहता है 

उसने भगवन से कहा यह अस्थियो का ढेर राक्षसो का है और वह ताल के वृक्ष को बालि की विशाल  गाथा के प्रतीक है
श्री राम ने वह दोनों सहज प्रयाश से ही डहा  दिए 
सुग्रीव को श्री राम के बल पर अब भरोसा हो गया 

भगवान राम से अपनी वनवास काल में अस्थियो के समूह को देख मुनिओ से पूछा यह क्या है 
मुनियो  ने कहा नाथ आप सर्वदर्शी है सर्वज्ञ है अंतरयामी है तब पर भी आप हमसे पूछ रहे है यह सब मुनियो को राक्षसो ने खा डाला है यह सुनते ही भगवान की आखो में आंसू भर आये और भगवान ने कहा 
निशिचर हीं करउ माहि भुज उठाई प्रण  कीन्ह 
सकल मुनिन के आश्रम जय जय सुख दीन्ह 
में पृथ्वी को राक्षस विहीन कर दूंगा और फिर सभी मुनियो के आश्रम में जाकर उनको दर्शन व् सम्भाषण का सुख दिया  

मुद मंगलमय संत समाजू
जो जग जंगम तीरथराजू
राम भक्ति जहँ सुरसरि धारा
सरसइ ब्रह्म बिचार प्रचारा
बिधि निषेधमय कलि मल हरनी
करम कथा रबिनंदनि बरनी
हरि हर कथा बिराजति बेनी
सुनत सकल मुद मंगल देनी 
बटु बिस्वास अचल निज धरमा
तीरथराज समाज सुकरमा
सबहिं सुलभ सब दिन सब देसा
सेवत सादर समन कलेसा

भगवान श्री राम परम शरणागत वत्सल 
और भक्त व् शरण में आये जीव की  रक्षा 
करना श्री प्रभु का परम प्रण है

भगवान श्री राम का कथन है शरण में आये जीव का निज हित अनहित देख  कर जो

शरणगत का त्याग कर देते है उन्हें देखने से भी पाप होता है 
और मेरा यह प्रण है की यदि ब्रह्महत्या करने वाला भी भय ग्रस्त हो मेरी शरण में आएगा तो उसे अपने

 प्राणो से अधिक मान दे कर उसकी रक्षा करुगा, 


भगवान राम ने नारद से कहा
 
हे मुनि- सुनो-में तम्हे हर्ष के साथ कहता हू

जो समस्त आशा भरोसा छोड़कर केवल मुझे ही भजते है में सदा ही उनकी

रखवाली करता हू जैसे माता बालक की रक्षा करती है,

छोटा बच्चा जब दौड़ कर साप को पकड़ने जाता है तो माता उसे हाथ से पकड़ कर 

अलग कर देती है
 
पर जब बच्चा बड़ा हो जाता है तो पिछली बात नहीं रहती क्यों की वह प्रौढ़ बालक 

अब पूरी तरह माता पर निर्भर नहीं है माँ उसे दूर से समझती है पर 

भक्त मेरे शिशु पुत्र के सामान है

और ज्ञानी मेरे प्रौढ़ पुत्र समान 


मंगल करनि कलि मल हरनि तुलसी कथा रघुनाथ की
गति कूर कबिता सरित की ज्यों सरित पावन पाथ की


भगति हेतु बिधि भवन बिहाई
सुमिरत सारद आवति धाई
राम चरित सर बिनु अन्हवाएँ
 सो श्रम जाइ न कोटि उपाएँ


सारद सेस महेस बिधि आगम निगम पुरान
नेति नेति कहि जासु गुन करहिं निरंतर गान

राम कथा मंदाकिनी चित्रकूट चित चारु 
तुलसी सुभग सनेह बन सिय रघुबीर बिहारु


श्री राम कथा एक पावन नदी है जो मानव के भीतिरि सत्य को प्रकाशित करती है 

श्री राम कथा का प्रगटेय भगवन शिव के हृदये लोक में हुआ और धरा पर श्री हरी विष्णु ने उसे रूप दिया 

रचि महेस निज मानस राखा 
पाइ सुसमउ सिवा सन भाषा 
तातें रामचरितमानस बर 
धरेउ नाम हियँ हेरि हरषि हर 

श्री राम कथा स्वयं में अमर है 
और यह अमर तत्व की प्रकाशक भी है 

नाना भाँति राम अवतारा
 रामायन सत कोटि अपारा

राम अनंत अनंत गुन 
अमित कथा बिस्तार 
सुनि आचरजु न मानिहहिं 
जिन्ह कें बिमल बिचार

मन करि विषय अनल बन जरई 
होइ सुखी जौ एहिं सर परई 
रामचरितमानस मुनि भावन 
बिरचेउ संभु सुहावन पावन 


श्री राम कथा के सात प्रकाश पिंड मानव जीवन की सात ग्रंथियों को खोलते है और जीव को पुनः चेतना प्रदान कर निज स्वरुप की और ले जाते है 


श्री राम कथा एक दिव्य स्त्रोत है जो आदि काल से अनंत काल की और एक सुनिश्चित गति से प्रवाह कर रही  है 


श्री राम कथा में श्री राम के ही जीवन का सत्य नहीं अपितु जीव के सत्य की गाथा कही गई है 


श्री राम कथा में जीव व् माया का सत्य और परमातम तत्व एक ही सूत्र में रचा गया है 


श्री राम कथा किसी एक कल्प या एक युग का सत्य नहीं यहाँ परिपूर्ण ब्रह्माण्ड की गाथा का सार निहित है 

कलि काल के घोर  समूह की  नाशक है  श्री राम कथा 

श्री राम कथा मन के शोक को हरने वाली परम बूटी है 

श्री राम कथा सभी प्रकार से मंगल करने वाली एक दिव्य धारा है 

मन का संशय हरने वाली सद गुरु है श्री राम कथा

श्री राम कथा में वह सत्य समाहित  है जो जीवात्मा के कल्याण की कुंजी है 

श्री राम कथा कहने व् सुनने से मानव जीवन सहज परिपूर्ण हो जाता है 

श्री राम कथा में सीता राम जी स्वयं में माया व् ब्रह्म की परिपूर्ण व्याख्या है 

श्री राम कथा में भगवान राम के गुण समूहों का सत्य समाहित है जो जीव आत्मा के कल्याण हेतु अमर बूटी है 

श्री राम कथा में तपस्या की परिपूर्ण व्याख्या है व् सत राज व् तम के बंधन को काटने वाले भेद है  

भगवान श्री राम सर्वज्ञ है सर्व व्यापी और श्री राम कथा भगवान राम के सामीप्य को सम्बोदित करती है 

श्री राम कथा ऋषि याज्ञवलक्य जी के मुनि भारद्धाज से कही जन कल्याण हेतु 
श्री राम कथा श्री काक भुसण्डी जी ने श्री गरुड़ जी से कही जन मानस तक पहुचने हेतु 
अनेक ऋषि मुनियो ने श्री राम  कथा अपनी मन की गति से समय भेद के अनुसार जन मानस के कल्याण हेतु प्रगट की 
श्री राम कथा मात्र कथा ही नहीं अपितु जीवात्मा की परम शांति का सुगम सेतु है 
श्री राम कथा में राम रतन धन के दिव्य कोष है 
श्री राम कथा में दिव्य संतो की वाणी है 
श्री राम कथा में गरुड़ के अहंकार के सूत्र व् निवारण तत्व है
श्री राम कथा में काक भुसण्डी के अनंत जन्मो की गाथा व् विष्णु प्रेम की सीमा है 
श्री राम कथा में स्वयं प्रभा की दिव्य प्रभा है
श्री राम कथा में अंगद आदि के श्री राम चरण प्रेम के उत्सव है
श्री राम कथा में बाली की वीर गाथा है
श्री राम कथा में सुग्रीव की राम शरणागति की दिव्य प्रसंग है
श्री राम कथा में जामवंत आदि की राम भक्ति के निरूपण है
श्री राम कथा में राजा दसरथ के श्री के प्रति दिव्य प्रेम है
श्री राम कथा में भारत के राम चरण अनुराग है 
श्री राम कथा में श्री लक्ष्मण की राम चरण सेवा के सूत्र है
श्री राम कथा में केकई के माया दर्पण है
श्री राम कथा में माता  कौशल्या के दिव्य अंतःहृदय का  स्वरुप है
श्री राम कथा में माता सुमित्रा के सेवा भाव है
श्री राम कथा में गृह योग लग्न व् तिथि की गरिमा कही गई है 
श्री राम कथा में सूर्य के मकर संक्रांति के दिव्य प्रसंग है
श्री राम कथा में सुर समूह की गाथा है 
श्री राम कथा में दुख निवारण मूल्यों के भेद है
श्री राम कथा में केवट की श्री राम भक्ति की महिमा है
श्री राम कथा में निषाद की श्री राम भक्ति प्रेम की सीमा  है
श्री राम कथा में ऋषि भारद्धाज के भक्ति सूत्र की गाथा है  
श्री राम कथा में सर्वोपरि गुरु देव बृहस्पताचार्य के दिव्य सन्देश है 
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श्री राम कथा में इन्द्र की माया के रंग भी है
श्री राम कथा में श्री राम चरण पादुका का  महत्त्व है 
श्री राम कथा में श्री राम चरणविन्द की महिमा के रूप है

श्री राम कथा में भगवन श्री हरी विष्णु जी के दिव्य अवतार की गाथा है

श्री राम कथा में अद्रितीय ऋषि मुनिओ का समागम है

श्री राम कथा में सत्य का सहज निरूपण है

श्री राम कथा में गंगा की महिमा कही गई है

श्री राम कथा में श्री रवि नंदिनी यमुना की कृपा सार का उल्लेख है

श्री राम कथा में माया रूपेण देवी सीता का महातम है

श्री राम कथा में भगवन के भक्तो का मिलन है

श्री राम कथा में भक्ति सूत्र का भेद है

श्री राम कथा में भक्ति तत्व की गाथा है 

श्री राम कथा में मानव जीवन के मूल्यों की  गौरव गाथा है 

श्री राम कथा में जीवन को प्रभावित करने वाली माया के बहुत रूपों के निरूपण किया गया है

श्री राम कथा में धरा की दिव्यता को दर्शाया गया है

श्री राम कथा में नारी जीवन के सुख व् सिद्धि की गाथा है 

श्री राम कथा में जीवन मृत्यु चक्र बाधा हर सकता के निरूपण है

श्री राम कथा में सभी के निजी धर्म की व्याख्या है 

श्री राम कथा में भक्ति सूत्र के दिव्य स्त्रोत्र है 

श्री राम कथा में बंधन व् मुक्ति की दिव्य व्याख्या है 

श्री राम कथा में नाम की महिमा का  निरूपण है

श्री राम कथा में संत संगती की महिमा कही गयी है 

श्री राम कथा में जीवन के मानव उद्धार के उद्धार के सूत्र निहित है 

श्री राम कथा में मानव देह क्रिया व् मानस रोग की व्याख्या है

श्री राम कथा में भगवत प्रेम के रंग व् गन के निरूपण है

श्री राम कथा में भक्ति सत सत्संग की दिव्य व्याख्या है 

श्री राम कथा में भगवन राम के गुण समूहों के सार है
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श्री राम कथा में भगवन राम के करुर्णामय दिव्य स्वरुप के वर्णन है

श्री राम कथा में भगवन राम के दिव्य चरित की गाथा है

श्री राम कथा में भगवन राम के दिव्य सन्देश है

श्री राम कथा में देवी सरस्वती की महिमा के सत्य निहित है

श्री राम कथा में बालीपत्नी तर के सत्य निहित है

श्री राम कथा में नारद भक्ति सूत्र के प्रगती है

श्री राम कथा में आदि मनु के नारायण प्रेम समाहित है 

श्री राम कथा में देवी सतरूपा के सत्य की गाथा है

श्री राम कथा में कलि काल की गाथा है

श्री राम कथा में सतयुग त्रेता द्वापर व्  कलियुग के भेद है

श्री राम कथा में सबरी के राम चरण प्रेम के कथा प्रसंग  है

श्री राम कथा में गीध की राम भक्ति व् सेवा निष्ठा के मूल्य है

श्री राम कथा में शिव विवाह का  मंगल गान है

श्री राम कथा में सीता स्वयम्बर की महिमा है

श्री राम कथा में राजा जनक के सत्य का  सत्य है

श्री राम कथा में रानी सुनयना के सीता के प्रति अमित प्रेम निहित है 

श्री राम कथा में भगवान राम के संतो के स्थान पर जा कर उन्हें सुख देना उनके दुःख हरना राक्षसो के वध करना एंड सभी जीवो के कल्याण को रूप देने का  सत्य निहित है 

श्री राम कथा में श्री तुलसी दल की महिमा कही गई है
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श्री राम कथा में सरयू नीर के प्रभाव कहा गया है

श्री राम कथा में चित्रकूट की महिमा उल्लेखनीय है 

श्री राम कथा में मधुमास व् भोम वार के सत्य निहित है 

श्री राम कथा में देवी सती महिमा की व्याख्या है 

श्री राम कथा में देवी पारवती के प्रेम परीक्षा के सन्देश है

श्री राम कथा में देवी उमा कल्याणी के तप की महिमा है

श्री राम कथा में भगवान शिव के श्री राम भक्ति प्रेम है

श्री राम कथा में श्री राम के शिव भक्ति तत्व है

श्री राम कथा में श्री रामेश्वर दर्शन की महिमा है

श्री राम कथा में श्री हनुमान चरित की दिव्य गाथा है 

श्री राम कथा में श्री हनुमान भक्ति तत्व की अपनी गरिमा है

श्री राम कथा में श्री राम चरण पादुका की अपनी महिमा है

श्री राम कथा में धर्म की महिमा प्रकाशित  है 

श्री राम कथा में सप्त ऋषिओ के गुण गान है 

श्री राम कथा में तपस्या की महिमा कही गई है

श्री राम कथा में सत्य की दिव्य आभा प्रगट है

श्री राम कथा में सती पिता दक्ष के वर्णन है

श्री राम कथा में कामदेव भस्म प्रसंग है

श्री राम कथा में रति विरह योग व् शिव कृपा सत्य है

श्री राम कथा में सगुन ब्रह्म व् निर्गुण सत्य की महिमा है

श्री राम कथा में परम पुरुष के  दिव्य प्रकाश व् पारावार नाथ के गुण है

श्री राम कथा में चन्द्र देव की महिमा है 

श्री राम कथा में प्रताप भानु प्रसंग है व् उसके रावण रूप की व्याख्या  है

श्री राम कथा में जय विजय विष्णु द्वार पल के शाप की गाथा है

श्री राम कथा में हरी माया के विस्तार कहा गया है

श्री राम कथा में कनक कशिप के जन्म के भेद है

श्री राम कथा में ओम नमो भगवते वासदेवय मंत्र जाप के फल को कहा गया है 
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श्री राम कथा में भगवन विष्णु के उस दिव्य स्वरुप की गाथा है जो शिव हृदय लोक में विचरित है 

जिस प्रकार से बीज में बृक्ष का  भेद  व् वृक्ष में बीज का सत्य निहित रहता है उसी प्रकार राम कथा में जीव व् ब्रह्म का सत्य निहित है 
 
श्री राम कथा ही वह अमर कथा है जो भगवन शिव को अति प्रिय है 



रामु अमित गुन सागर थाह कि पावइ कोइ

भाव बस्य भगवान सुख निधान करुना भवन

सादर सिवहि नाइ अब माथा
 बरनउँ बिसद राम गुन गाथा

श्री राम आत्मा का सत्य है 
श्री राम आत्मा की शुद्धि का कारक भी और कारण भी 
सतयुग १७२८०००
त्रेता १२९६०००
द्वापर ८६४००० 
कलियुग ४३२००० 
त्रेता युग में भगवन विष्णु ने इस कथा को चरित्रार्थ किया 
जिसके असंख्य  कारण है  जो आज के परिदृश्य में सहज रूप में समझ  पाना असंभव है पर मूल कारण आत्मा का कल्याण 
जीव का मूल स्वरुप के श्रृंगार हेतु 


सप्त प्रबन्ध सुभग सोपाना  
ग्यान नयन निरखत मन माना
रघुपति महिमा अगुन अबाधा  
बरनब सोइ बर बारि अगाधा

अरथ अनूप सुभाव सुभासा   
सोइ पराग मकरंद सुबासा


अरथ धरम कामादिक चारी  
कहब ग्यान बिग्यान बिचारी 
नव रस जप तप जोग बिरागा  
ते सब जलचर चारु तड़ागा


भगवान श्री राम की प्रभा अनंत अनंत  सूर्य के सामान है 
भगवान श्री राम के बल अनंत है सभी सीमाओ से अधिक 
भगवान श्री राम के न ही कोई आदि है न ही कोई अंत तब पर भी प्रभु की लीला में जन्म व् उनकी अपने लोक गमन की गाथा है 

संत तुलसी दास जी ने अपने मन की गति से श्री राम गाथा को रूप देने के प्रयास किया श्री राम चरित मानस के रूप में
भगवान श्री राम के गुण समूहों को धर्म संज्ञक सूत्र में पिरोने के प्रयास किया श्री राम चरित मानस के माध्यम से 


 
Sri Rama-the truth of a dutiful one that resourceful in a problematic situation,

Sri Rama-the one free from sloth and vagaries 

Sri Rama-the sagacious in the acquisition of wealth and spontaneous in adding to the joy of people 

Sri Rama-ever alert and watchful with an optimized pitch of consciousness that for that incarnation to help gods, Brahmans, Cow, and the Earth,

Sri Rama-the dutiful king that lover of justice 

Sri Rama-the one that lived for others, his life was for a cause, he was too discreet to be deluded

SRI RAMA WAS BENEFICENT TO THE POOR  

Sri Rama-fond to address the grievance of the saintly soul by calling itself 

Sri Rama-fascinating and classic was the truth of his personality 

SRI RAMA-THE SAVIOUR

Sri Rama was a great son

Sri Rama was a true consort

Sri Rama was a giant king

Sri Rama was a loving brother

Sri Rama was a legend of sacrifice

Sri Rama was a truth of penance  an austerity of that age and aeon

Sri Rama was a truth of might, power, and strength 

Sri Rama was the embodiment of righteousness 

Narratives of Sri Rama is a lovely wish-yielding gem,

The host of virtues possessed by Sri Rama are a blessing to the world,

The Name of Sri Rama itself is a bestower of liberation,

The pastime of Sri Rama is a great teacher of wisdom and light,

The Name of Sri Rama is more than a sunbeam that dispel the darkness of ignorance, 

Narratives of Sri Rama are alike clouds nourishing the paddy crop in the form of devotees,

Sri Ganga ji is a celestial Stream that manifests on the planet for the welfare of life but has a specific route to run with,

Sri Rama Katha is a celestial stream that manifests on the planet and reaches out to devotees itself for their welfare,  


 Sri Ram Katha possessed all noble qualities that mother Aditi to gods, it is the culmination as it were of devotion and love for Sri Rama,

Sri Ram Katha cleans one sin irrespective of one's lot,

Merits resulting from the truthful fragrance of Sri Rama are not limited to this Birth or entity, it perfumes the spirit in color with unalloyed love for Lord Sri Hari Vishnu which matters to the spirit most,

Kali age is tough to bear for anyone, delusion cheats and robs one  and Sri Ram Katha provides the protective shield,

Sri Ram Katha ensures safe passage from here for devotees and followers,

Sri Rama Katha is very simple to perceive and relate with for eternal cause,

Sri Rama Katha is not only a purifying agent but helps one to get rid of the threefold affliction and fear of birth and death,

By hearing and narrating this celestial truth saints and sages, devotees and followers sail safe, 
 


I reverence the feet of Sri Sita Rama, who though stated to be different are yet identical just a word and it's meaning or like water and the waves on its surface and to whom the afflicted are most dear,

For the sake of his devotees, Sri Rama assumed the form of a human being and suffered calamities himself, bringing relief to the pious,

The Very name of Sri Rama is a wish-yielding tree, the very home of beatitude in this Kali age, by remembering which Sri Tulsidas-the poet himself-was transformed from an intoxicating drug like hemp plant into Holy basil.

कथा अलौकिक सुनहिं जे ग्यानी
नहिं आचरजु करहिं अस जानी

नाना भाँति राम अवतारा
रामायन सत कोटि अपारा
कलप भेद हरिचरित सुहाए
भाँति अनेक मुनीसन्ह गाए

राम अनंत अनंत गुन अमित कथा बिस्तार
सुनि आचरजु न मानिहहिं जिन्ह कें बिमल बिचार
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श्री राम कथा में श्री रामचरण की महिमा है 

रामचरण सुखदाई_

भज मन रामचरन सुखदाई_

जिहि चरनन से निकसी सुरसरि 
संकर जटा समाई

जटासंकरी नाम परयो है, 
त्रिभुवन तारन आई
भज मन रामचरन सुखदाई


जिन चरनन की चरनपादुका 
भरत रह्यो लव लाई

सोइ चरन केवट धोइ लीने 
तब हरि नाव चलाई
भज मन रामचरन सुखदाई

सोइ चरन संतन जन सेवत 
सदा रहत सुखदाई

सोई चरन गौतम ऋषिनारी 
परसि परमपद पाई
भज मन रामचरन सुखदाई

दंडकबन प्रभु पावन कीन्हो 
ऋषियन त्रास मिटाई

सोई प्रभु त्रिलोक के स्वामी 
कनक मृगा सँग धाई
भज मन रामचरन सुखदाई

कपि सुग्रीव बंधु भय-ब्याकुल 
तिन जय छत्र फिराई

रिपु को अनुज बिभीषन निसिचर 
परसत लंका पाई
भज मन रामचरन सुखदाई

सिव सनकादिक अरु ब्रह्मादिक 
सेष सहस मुख गाई

तुलसिदास मारुत-सुत की प्रभु 
निज मुख करत बडाई
भज मन रामचरन सुखदाई